मेरा जिला मेरा अभिमान हिंदी निबंध | Mera Jila Mera Abhiman Par Nibandh

हेलो दोस्तो आज के लेख में हम मेरा जिला मेरा अभिमान पर निबंध ( Essay on mera jila mera abhiman ) उपलब्ध कराएंगे। जैसा की आप जानते हैं कि सवाई माधोपुर की अखिल भारतीय सह संयोजक अर्चना मीणा द्वारा विषय मेरा जिला मेरा अभिमान पर निबंध प्रतियोगिता कराई जा रही हैं। अगर आप मेरा जिला मेरा अभिमान हिंदी निबंध प्रतियोगिता में भाग लेना चाहते हैं तो हम आपके लिए मेरा जिला मेरा अभिमान पर हिंदी निबंध लेकर आए हैं जिसे आप निबंध प्रतियोगिता में लिखकर इनाम जीत सकते हैं।

मेरा जिला मेरा अभिमान पर निबंध :-

भारत अभियान की अखिल भारतीय सह संयोजक अर्चना मीणा द्वारा अपने जिले को सवाई माधोपुर को हर तरह से आत्मनिर्भर बनाने के लिए पिछले कई वर्षों से विभिन्न प्रयास किये जा रहे हैं। इनमे से एक हैं स्वाई मधेपुर के युवाओं के लिए मेरा जिला मेरा अभिमान ऑनलाइन निबंध प्रतियोगिता । इस प्रतियोगिता में दो वर्ग होंगे, जूनियर समूह (17 से 20 आयु वर्ग) और वरिष्ठ समूह (21 से 23 आयु वर्ग)। हिंदी भाषा में न्यूनतम 500 और अधिकतम 700 शब्द और स्वयं की लिखावट में लिखा गया निबंध मान्य होगा। 

मेरा जिला मेरा अभिमान विजेताओं के लिए राशि :Mera Jila Mera Abhiman Competition Prize

मेरा जिला मेरा अभिमान निबंध प्रतियोगिता में दोनों ग्रुप के प्रथम, द्वितीय व तृतीय विजेताओं को क्रमश: 11 हजार 51 सौ 31 सौ रुपये तथा अन्य प्रतिभागियों को सांत्वना पुरस्कार दिए जाएंगे। अर्चना मीणा समय-समय पर अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतियोगिता से जुड़ी अपडेट शेयर करती रहेंगी।

 

 

मेरा जिला मेरा अभिमान निबंध ( 500 शब्द )

प्रस्तावना :
राजस्थान की पूर्वी सीमा पर स्थित सवाई माधोपुर जिला के रूप में जाना जाता हैं। सवाई माधोपुर राजस्थान के प्रमुख शहरों में से एक है। यह शहर ‘रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान’ के लिए विश्व प्रसिद्ध है। इस शहर की स्थापना सवाई माधोसिंह प्रथम ने की थी, जो जयपुर के महाराजा थे। 18वीं शताब्दी में महाराजा सवाई माधोसिंह द्वारा इस शहर की स्थापना करने के बाद उन्हीं के नाम पर इस जगह का नाम ‘सवाई माधोपुर’ पड़ा। 
सवाई माधोपुर जिले का इतिहास :
राजस्थान के पूर्व में स्थित सवाई माधोपुर जिला अपनी नैसर्गिक सुन्दरता से देश-विदेश के सैलानियों के आकर्षण का केन्द्र है. यहां स्थित रणथम्भौर अभयारण्य (बाघ परियोजना) का स्थान विश्व के पर्याटन मानचित्र पर है. जिले में ही देवताओं में प्रथम पूज्य श्री गणेशजी का ऐतिहासिक त्रिनेत्र गणेश मन्दिर है. ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक महत्त्व का प्रसिद्ध रणथम्भोर का अभेय दुर्ग है. सवाई माधेपुर में राम हम्मीर जैसे देशभक्त हुए हैं जिसने यहा की आन-बान एवं शान के लिए लड़ते हुए अपने प्राणों की आहूति दी थी. यह वही स्थान है जहां की रानियों की शान के साथ जौहर कर प्राण न्योछावर किये थे.
सवाई माधोपुर की भौगोलिक स्थिति :-
अरावली पर्वतमालाओं से आच्छादित एवं प्राकृतिक सौन्दर्य से भरपूर यह जिला 25.45 से 26.41 तक 23.03 से 30.12 तक पूर्वी देशान्तर 75.59 से 77.0 तक 69.30 से 780.17 तक देशान्तर के मध्य स्थित है. जिले की समुद्र तल से ऊंचाई 400 मीटर से 600 मी अर के मध्य है. इसके पूर्व में करौली, मध्यप्रदेश तथा कोटा, उत्तर में भरतपुर और धौलपुर, दक्षिण में बून्दी व टोंक तथा पश्चिम में दौसा जिले की सीमायें लगी हैं. दिल्ली मुम्बई रेलमार्ग तथा जयपुर-मुम्बई सड़क मार्ग से सीधा जुड़ा सवाईमाधोपुर राजस्थान की राजधानी जयपुर से मात्र 132 किलामीटर एव कोटा से 108 किलामीटर की दूरी पर स्थित है. इसका कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 4.98 हजार वर्ग किलोमीटर है जो राज्य के क्षेत्रफल का 1.46 प्रतिशत है.
सवाई माधोपुर की हस्तकला:-
जिले में बनास नदी के टीलों पर उपलब्ध खस का उपयोग इत्र निकालने के काम में लिया जाता है. इसकसाथ ही समीपवर्ती श्यामोता गांव में कुम्हारों द्वारा तेयार किये जाने वाले मिट्टी के खिलौने एवं बरतन अन्य प्रदेशों
में भी विक्रय के लिए भिजवाए जाते है. चौथ का बरवाड़ा, बहतेड, गंगापुर आदि स्थानों पर चमडेद्य से बने जूते वं जूतियां कारीगरों द्वारा बड़ी मेहनत से तैयार की जाती हैं. सवाई माधोपुर जिला मुख्यालय सहित जिले के कई स्थानों पर हथकर्घा से बनी रेजी, रजाई के खोल भी भारी मात्रा में बिकते हैं. सवाई माधोपुर शहर एवं अन्य स्थानों पर रंगाई-छपाई का कार्य भी खूबसूरती से किया जाता है. यहां के पोमचे जनजाति महिलाओं में विशेष लोकप्रिय हैं.
सवाई मधोपुर जिले में बांस व चबेनी की लकड़ी से बनी टोकरी तथा चटाइयां बनाने का काम भी भारी तादाद में होता है. मूंज की रस्सी, मूंज और सरकी से बनाए जाने वाले मुड्डे और मकानों पर छत के रूप में बिछाए जाने वाले सरकोड़े भी यहां तैयार किए जाते है. इसके साथ ही हस्तकला के कारीगरों द्वारा कशीदाकारी का श्रेष्ठ काम भी किया जाता है.
सवाई माधोपुर जिले की उपलब्धियां :
यदि हम पिछले तीन साल की उपलब्धियों की बात करे तो सवाईमाधोपुर जयपुर रेल लाइन विद्युतीकरण , दुब्बी बनास में बन रहे औद्योगिक क्षेत्र , शिल्पग्राम को विकसित किए जाने तथा ओलवाड़ा से मलारना स्टेशन तक के सड़क की स्वीकृति , गौरवपथ , मिसिंग लिंक, मलारना डूंगर में माॅडल महाविद्यालय की स्वीकृति, देवनारायण आवासीय विद्यालय एमसीएच बिल्डिंग का निर्माण की उपलब्धियां हासिल की हैं।
 इसके अलावा नई पीएचसी , सीएचसी, मेडिकल उपकरण, नये जीएसएस, नवीन पशु चिकित्सा उपकेन्द्र, स्कूल क्रमोन्नति, फलोरिकल्चर एक्सीलैंस सेन्टर की स्वीकृति, खेल स्टेडियम के निर्माण की स्वीकृति, बनास लिंक परियोजना, ढील मध्यम बांध परियोजना की राशि स्वीकृति, स्टेट होटल मैनेजमेंट इन्स्टीट्यूट, भाड़ौती में गोण मंडी, भैरू दरवाजा कैरिज वे निर्माण कार्य आदि की स्वीकृति की उपलब्धियां हासिल की हैं जो की हम सभी नागरिकों के लिए गर्व की बात है।
निष्कर्ष:-
मुझे गर्व हैं की मेरा जिला (सवाई माधोपुर) राज्य का सबसे सुंदर जिला हैं। यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल होने वाला रणथम्भौर का क़िला, ऐतिहासिक और रोमांचक है। विन्ध्या और अरावली की पहाड़ियों से घिरा यह क्षेत्र क़िले, मंदिर और रणथम्भौर राष्ट्रीय उद्यान के लिए, पर्यटकों की पहली पसंद है। कुछ इलाके मैदानी, कुछ पहाड़ी और कुछ जंगलों से घिरे होने के कारण, यहाँ कई ऐतिहासिक स्थल हैं, जो अन्तर्राष्ट्रीय पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
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