मेरे दैनिक जीवन मे आयुर्वेद की उपयोगिता पर भाषण | जीते पहला ईनाम

मेरे दैनिक जीवन में आयुर्वेद की उपयोगिता भाषण ( Mere Dainik jeevan mein ayurveda ki upyogita bhashan ) हेलो बच्चों आज के लेख में हम मेरे दैनिक जीवन में आयुर्वेद की उपयोगिता पर भाषण (Mere Dainik jeevan mein ayurveda ki upyogita par bhashan ) लिखेंगे। जैसा कि आप जानते हैं कि 11 अक्टूबर को मेरे दैनिक जीवन में आयुर्वेद की उपयोगिता विषय पर भाषण प्रतियोगिता होने जा रही है अगर आप भी मेरे दैनिक जीवन में आयुर्वेद की उपयोगिता पर भाषण या निबंध लिखना चाहते हैं तो यह आर्टिकल आपके लिए बहुत मददगार साबित होगा। मेरे दैनिक जीवन में आयुर्वेद की उपयोगिता भाषण कक्षा 9 से 12वीं तथा कॉलेज छात्रों के लिए हैं। 

मेरे दैनिक जीवन में आयुर्वेद की उपयोगिता पर भाषण

Mere dainik jeevan mein Ayurveda ki upyogita bhashan: आयुर्वेद के प्रवर्तक भगवान धन्वंतरि की जयंती 23 अक्तूबर को मनायी जायेगी। पखवाड़े के तीसरे सप्ताह में जनपद के समस्त सरकारी, वित्त पोषित एवं निजी इण्टर कॉलेज के कक्षा 09 से 12 तक अधययनरत छात्र-छात्राओं को मेरे दैनिक जीवन में आयुर्वेद की उपयोगिता भाषण प्रतियोगिता ( Mere Dainik jeevan mein Ayurveda ki upyogita ) में भाग लेने का अवसर दिया जायेगा। भाषण का विषय “” मेरे दैनिक जीवन में आयुर्वेद की उपयोगिता”” रखा गया है।जनपद स्तरीय भाषण प्रतियोगिता में प्रथम, द्वितीय, तृतीय स्थान पाने वाले प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया जाएगा। साथ ही दो प्रतिभागी को सांत्वना पुरूस्कार से भी नवाजा जाएगा। प्रथम स्थान पर आने वाले को 5100, द्वितीय स्थान पाने वाले को 2100, तृतीय को 1100 तथा दो सांत्वना पुरूस्कार 501-501 रुपये दिये जायेंगे।

Let’s Start……

Mere Dainik Jeevan Mein Ayurveda ki Upyogita bhashan 

मेरे दैनिक जीवन मे आयुर्वेद की उपयोगिता पर भाषण

“आयुर्वेद को अपनाने का लो संकल्प, स्वस्थ रहने का यही है विकल्प विकल्प’ “

‘माननीय मुख्य अतिथि, आदरणीय शिक्षकगण” आज हम यहा भारत के राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस मनाने के लिए एकत्रित हुए है। जैसा की हम सभी जानते है कि आयुर्वेद विश्व की सबसे प्राचीनतम चिकित्सा पद्धति है जो कि अनादि एवं शरबूत है। जो शास्त्र या विज्ञान आयु का ज्ञान कराये उसे आयुर्वेद की संज्ञा दी गयी है।

अपने जीवन मे सभी ने अनुभव किया होगा कि इस विश्व मे मनुष्य तो क्या, तुच्छ से तुच्छ जीव भी सदा रोग वियोग नुकसान, अपमान व अज्ञान से होने वाले दुखो से बचने की कोशिश करता है और सुख प्राप्ति के लिए सदा प्रत्यनशील रहता है। इसी क्रम मे सबसे पहले आयुर्वेद का उद्भव हुआ।

‘आर्युवेद को अपनाओ बिमारियो को दूर भगाओ “

आयुर्वेद पद्धति हमारे जीवन मे बहुत वर्षो से बसी हुई है। आयुर्वेद हमारे जीवन के लिए अमूल्य है। हम अपने दैनिक जीवन मे बीमार होने पर अदरक, तुलसी की चाम, शहद आदि का सेवन करते है। ये गर्म, सभी चीज की प्रकृति ठण्डी है या । इस प्रकार के सभी निर्देश आयुर्वेद के ही अंग है।

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आज पूरे विश्व मे असम्यक जीवन पद्धति के कारण नित नई बिमारियो को प्रादुभाव हो चुका है। समस्त विश्व नित नई महामारी झेल रहा है। ऐसे मे आयुर्वेदोत्क आहार व विहार का सम्यक सेवन ही समस्त मानव जाति के स्वास्थ्य तथा भविष्य के लिए कारगर है। हमे अपने घर के आँगन व रसाई घर मे ही ऐसे अनेक पदार्थ मिल जाते है जिन्हें हम औषाधी के रूप में उपयोग कर सकते है।

हमारे दैनिक में जीवन मे आयुर्वेद अत्याधिक महत्व रखता है। आर्युवेद के उपदेशो का पालन कर स्वस्थ शरीर का निर्माण किया जा सकता है। स्वस्थ व्यक्ति ही एक स्वस्थ समुदाय एवं स्वस्थ विश्व का निर्माण करने में सक्षम होता है। इसलिए हम आयुर्वेदीय पद्धति को अपने जीवन से अलग नही कर सकते ।

अब मै अपनी वाणी को विराम देते हुए दो शब्द भारतीय नागरिको के लिए कहना चाहूंगी:-

“”आयुर्वेद द्वारा सजाओ जीवन मे नए रंग, इसे अपनाकर पाओ स्वस्थ उमंग”

मेरे दैनिक जीवन में आयुर्वेद की उपयोगिता भाषण

( Mere Dainik jeevan mein Ayurveda ki upyogita Par Bhashan Hindi mein) :- आयुर्वेद विश्व की सबसे प्राचीनतम चिकित्सा पद्धति है जो की अनादि एवं शाश्वत है। जो शास्त्र या विज्ञान आयु का ज्ञान कराये उसे आयुर्वेद की संज्ञा दी गयी है। ऋग्वेद जो की मनुष्य जाति के लिए उपलब्ध प्राचीनतम शास्त्र है, आयुर्वेद की उत्पत्ति भी ऋग्वेद के काल से ही है। ऋग्वेद के अलावा अथर्ववेद में भी आयुर्वेदिक विषयक उल्लेख हैं तथा आयुर्वेद को अथर्वेद का उपवेद माना जाता है।

मेरे दैनिक जीवन में आयुर्वेद का महत्व:

प्रायः सभी ने अनुभव किया होगा कि इस विश्व में मनुष्य तो क्या, तुच्छ से तुच्छ जीव भी सदा रोग, वियोग, नुकसान, अपमान व अज्ञान से होने वाले दुखों से बचने की कोशिश करता है और सुख प्राप्ति के लिए सदा प्रयत्नशील रहता है। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए हम कह सकते हैं कि जब से सृष्टि की रचना हुई है, तभी से मनुष्य भूख, प्यास, नींद आदि स्वाभाविक इच्छाओं को पूरा करने एवं शारीरिक व्याधियों से छुटकारा पाने के लिए प्रयत्नशील रहा है। इसी क्रम में सबसे पहले आयुर्वेद का उद्भव हुआ। आजकल हम ऐलोपैथी (आधुनिक चिकित्सा-पद्धति), होम्योपैथी, नैचुरोपैथी (प्राकृतिक चिकित्सा), रेकी, आदि अनेक प्रकार की चिकित्सा-पद्धतियों का प्रयोग करते हैं, परन्तु आयुर्वेदिक पद्धति सहस्रों वर्ष़ों से हमारे जीवन में रची बसी हुई है।

हम अपने दैनिक जीवन में देखते-सुनते हैं कि किसी को पेट दर्द होने पर या गैस होने पर अजवायन, हींग आदि लेने को कहा जाता है; खाँसी-जुकाम, गला खराब होने पर कहा जाता है कि ठण्डा पानी न पियो; अदरक, तुलसी की चाय, तुलसी एवं काली मिर्च या शहद और अदरक का रस, अथवा दूध व हल्दी ले लो, आदि। अमुक चीज की प्रकृति ठण्डी है या गर्म, इस प्रकार के सभी निर्देश आयुर्वेद के ही अंग हैं। इस प्रकार हम अपने बुजुर्गों से पीढ़ी दर पीढ़ी घर में प्रयुक्त होने वाले पदार्थ़ों के औषधीय गुणों के विषय में सीखते चले आ रहे हैं। हमें अपने घर के आँगन अथवा रसोई घर से ही ऐसे अनेक पदार्थ मिल जाते हैं, जिन्हें हम औषधि के रूप में प्रयुक्त कर सकते हैं। इस प्रकार हम इस आयुर्वेदीय पद्धति को अपने जीवन से अलग कर ही नहीं सकते ।

आयुर्वेदिक चिकित्‍सा प्रणाली पूर्णतः प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर है, इसलिए इनके विषय में सूक्ष्‍म जानकारी होना अत्‍यंत आवश्‍यक है। जब आयुर्वेद में दिए गए उपचारों का वैज्ञानिक निरीक्षण किया गया तो इसमें कुछ उपचार काफी प्रभावी पाए गए किंतु कुछ उपचारों की वैज्ञानिक पुष्टि नहीं हो पायी है। कैंसर जैसी बीमारियों में भी आयुर्वेद के सकारात्‍मक प्रभाव देखे गए हैं।

तो दोस्तों हम आशा करते हैं मेरे दैनिक जीवन में आयुर्वेद की उपयोगिता पर भाषण  (Mere  Dainik jeevan mein Ayurveda ki upyogita per Bhashan) आपको पसंद आया होगा मेरे दैनिक जीवन में आयुर्वेद की उपयोगिता विषय पर भाषण और निबंध ( Mere  Dainik jeevan mein Ayurveda ki upyogita nibandh) के लिए वेबसाइट को सब्सक्राइब करें। और हमें कमेंट करके जरूर बताएं कि आपको मेरे दैनिक जीवन में आयुर्वेद की उपयोगिता पर भाषण कैसा लगा और इस लेख को अपने दोस्तों के साथ भी जरूर शेयर करें।

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